गांवों मे सुधरता शिक्षा का स्तर



 अखबार मे समाचार पढ़कर अत्यन्त खुशी हुई कि जोधपुर जिले के छोटे से गांव कालीजाल का रहने वाला और उसी गांव की सरकारी स्कूल मे पढ़ा हुआ लड़के का चयन भारतीय अंतरिक्ष संघठन मे वैज्ञानिक के पद पर प्रथम प्रयास मे ही हो गया। इसी तरह इसी जिले के छोटे से गांव लूनी से भी दो लड़के एम्स मे डॉक्टर बने और एक लड़का आईआईटी बॉम्बे मे सेलेक्ट हुआ। आश्चर्य की बात यह है कि इन चारों बच्चों के माता पिता खेती करते है और इनकी शैक्षणिक योग्यता बिल्कुल नहीं है और चारों लड़कों की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूलो मे ही हुई। इस प्रकार के कई बच्चे आजकल सरकारी स्कूल मे पढे हुए और पूर्णतया ग्रामीण परिवेश मे पले हुए का सेलेक्शन उच्च पदों पर हो रहा है। यह एक अनोखा बदलाव आ रहा है।

एक समय था जब कलकता और मद्रास के लड़के ज्यादातर उच्च पदों पर सेलेक्ट होते थे। उनके परिवार मे शिक्षा का वातावरण होता था। आगे बढ़ने और पढ़ने के लिए उन्हे परिवार मे समुचित अवसर मिलता था। ज्यादातर ऐसा भी देखा गया है कि ऊंचे पदों पर बेठे हुए अधिकारियों के बच्चों का सेलेक्शन उसी अनुरूप होता था। डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस जैसे पदों पर बेठे लोगों के बच्चे सेलेक्ट होते थे।

समय ने करवट बदली। छोटे छोटे गांवों मे सरकारी स्कूल खुलने लगे। आजकल हर ग्रामपंचायत स्तर पर 12वी तक स्कूल हो गए है। गांवों मे विधयार्थियों के पास पढ़ने का पर्याप्त समय होता है। पढ़ाई के साथ साथ गावों के विधयार्थी अपने माता पिता के काम मे भी हाथ बटाते है। गांवों मे खेती और पशुपालन मुख्य व्यवसाय है। इन कामों मे विधयार्थी हाथ बटाता है। अतः उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। खान पान संतुलित एवं शुद्ध होता है। शहरों की तरह फास्ट फूड और अटरम पटरम नहीं खाते है। हर घर मे शुद्ध दूध दही की उपलब्धता रहती है। गांव का शुद्ध पर्यावरण विधयार्थी को स्वस्थ रखता है। स्वस्थ शरीर मे स्वस्थ मन का निवास होता है।

ग्रामीण विधयार्थियों के अच्छे पदों पर सेलेक्ट होना अच्छे संकेत है। अब ऐसे विधयार्थी अधिकारी बनेंगे जिन्हे गांवों की समस्याओं का पूरा ज्ञान होगा। वे अधिकारी आगे चलकर ग्रामीण विकास की, गांव के गरीब की, कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र की समस्यों को दूर करने मे अपने ज्ञान एवं अधिकारों का उपयोग करेंगे। अधिकतर भारत गावों मे बसता है। ग्रामीण विकास की शुरुआत हो चुकी है। आगे भी बढ़ती जाएगी। गरीब और किसान का बेटा जब उच्च अधिकारी बनता है तो पूरे गांव मे खुशी की लहर फेल जाती है जब कि यदि बड़े शहर का बेटा यदि उच्च पद पर नियुक्त होता है तो इतनी खुशी किसी को नहीं होती।  

 

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