यथा नाम तथा गुणाः
श्रीमदभागवत मे एक कथा अजामिल नामक राक्षस की आती है । उस राक्षस के बेटे का नाम नारायण था । अजामिल राक्षस होने के नाते सभी गलत काम जैसे चोरी , डकेती , व्यभिचार आदि कुकर्म किया करता था । मृत्यु के समय उसे यमराज के दूत नरक मे ले जाने के लिए आए । खूंखार यमदूतों को देखकर अजामिल भयभीत हो गया । उसने अपने बेटे को जोर जोर से आवाज लगाई । वह बोला नारायण आओ नारायण आओ । उसने तो अपने बेटे को मदद के लिए बुलाया था लेकिन भगवान विष्णु ने सोचा कि यह नारायण नारायण कहकर मुझे पुकार रहा है । अतः भगवान ने अपने दूतों को अजामिल के पास उसे स्वर्ग मे लाने के लिए भेज दिया । विष्णु भगवान के दूतों और यमराज के दूतों के वार्तालाभ का वर्णन भागवत मे विस्तार पूर्वक किया गया है । अंत समय मे जो व्यक्ति भगवान नारायण का नाम लेलेता है वह नरक मे कभी नहीं जा सकता । भगवान उसे अवश्य ही स्वर्ग मे स्थान प्रदान करते है ।
भागवत के इसी प्रसंग से प्रेरित होकर लोग अपने पुत्रों एवं पुत्रियों के नाम ईश्वर के पर्यायवाची रखता है जैसे विष्णु ,नारायण , सत्यनारायण , बद्रीनारायण , केदारनाथ , श्यामसुंदर , कन्हैया लाल , मुरलीधर , द्वारकाप्रसाद आदि हजारों नाम जो भगवान से संबंधित है , पुत्रों के रखे जाते है । इसी प्रकार पुत्रियों के नाम भी देवी के नाम पर रखे जाते है जैसे सावित्री , तनिशी , पदमा , सुषमा , रिद्धि , सिद्धि , ईशा , पार्वती , दुर्गा , राधा , लक्ष्मी , उमा , सीता , गंगा , यमुना , सरस्वती आदि हजारों नाम जो देवी से संबंधित होते है , रखे जाते है । इस प्रकार देवी देवतयो के नाम पर अपनी संतानों के नाम इसलिए रखे जाते है कि अपने बच्चों का नाम पुकारने से ईश्वर का नाम स्वतः ही आ जाता है । यह एक सुंदर परंपरा थी ।
आजकल बच्चों के नाम ऐसे ऐसे रखे जाते है कि उनका कोई न शब्दार्थ होता है न भावार्थ जैसे गुड्डू , पिंटू , रिंकू , गटु , गुलू , दुगु आदि सेंकड़ों नाम बना लिए गए है । आजकल एसी भी प्रथा चल रही है कि माता के नाम का प्रथम अक्षर एवं पिता के नाम मे से एक अक्षर लेकर नए शब्द का निर्माण करके अपने बच्चे का नामकरण कर देते है । इस प्रकार का नाम उन माता पिता को कहा लेकर जाएगा इसका कोई पता नहीं । अतः आज आवश्यकता है कि अपने बच्चों के सुंदर सुंदर नाम रखे जाए जिनका कोई धार्मिक महत्व अवश्य हो । पुरानी प्रथा को पुनर्जीवित करना चाहिए ।
Very nice. I appreciate the authors work and he wrote so beautifully.
ReplyDeleteBahut hi Sunday parampara thi. Hum sahi ko iski palna karni chhaiyye aur apni sanskriti ko aage badhana chahiye . Maine bhi apni beti ka naam is ke chaltey Gauree rakkha hai.
ReplyDeleteBilkul sahi batya apne muje aaj kuch sikne ko mila danyawad
ReplyDeleteUtmost Truth ! Thanking you Sir for reminding us the Healthy Tradition about nomenclature of the Generations !
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