अर्थशौचः
इन्फोसिस लिमिटेड एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है । नन्दन निलेकणी इस कंपनी के सह संस्थापक है । इन्होंने आईआईटी बॉम्बे मे 1973 मे प्रवेश लिया था । आईआईटी से जुड़े हुए 50 वर्ष होने के उपलक्ष मे नन्दन निलेकणी ने 315 करोड़ रुपए का दान आईआईटी बॉम्बे को दिया । इस दान राशि से आईआईटी बॉम्बे विश्वस्तरीय बुनियादी ढ़ाचा खड़ा करने , इंजीनियरिंग व टेक्नॉलजी के क्षेत्र मे अनुसंधान को प्रोत्साहित करने व नए स्टार्टअप को पोषित करने मे खर्च होगा । आईआईटी के किसी भी पूर्व छात्र द्वारा दी गई यह अधिकतम दान राशि है ।
निलेकणी आईआईटी बॉम्बे को अपने जीवन की आधारशिला मानते है । इसके पहले भी निलेकणी ने 85 करोड़ रुपए का दान इस संस्थान को दिया था । अब उनके द्वारा दिए गए दान की कुलराशि 400 करोड़ रुपए हो गई है । डॉक्टर निलेकणी द्वारा दिया गया यह दान लाखों उद्योगपतियों को प्रेरणा दे रहा है ।
अपनी कमाई का कुछ अंश दान मे देना एक अच्छी परंपरा है । श्री रतन टाटा एवं श्री अजीम प्रेमजी भारतीय दान दातायो मे अग्रणी उद्योगपति है । भारत के उद्योगपति बिरला , सिंघानिया , डालमिया , बांगड आदि मारवाड़ी औद्योगिक घराने भी दान देने मे पीछे नही है । यह तो हुई बड़े औद्योगिक घरानों की बात । मँझले और छोटे उद्योगपति भी समय समय पर दान देकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी को प्रदर्शित करते रहते है । दान देने से धन की शुद्धि होती है । आपकी कमाई मे यदि कोई थोड़ा बहुत अंश भी अनैतिक रूप से या जाता है तो उसका शुद्धिकरण एकमात्र दान के द्वारा ही हो सकता है ।
दान करने मे मात्रा की बजाए भावना महत्वपूर्ण होती है । कई बार आप के द्वारा प्रेम , नम्रता और आदर पूर्वक एक रोटी का दान भी टनों अनाज से ज्यादा महत्व रखता है । भगवान श्री राम के सेतु निर्माण मे एक गिलहरी का योगदान भी आज दिन तक याद किया जाता है । अपनी कमाई का कुछ अंश निश्चित रूप से दान पुण्य मे खर्च करने का हर धर्म और संस्कृति मे उल्लेख किया गया है , जिसका पालन करना हर धर्मावलम्बी को आवश्यक होता है।
Chiding chaunch bhar le gayee , Nadi na ghatiyo neer !
ReplyDeleteDan diye Dhan na ghate , Kah Gaye Das Kabir !!