सत्यम् वदः , प्रियम् वदः , अल्पम् वदः
इन्फोसिस के सह संस्थापक श्री नारायण मूर्ति की धर्म पत्नी ने एक इंटरव्यू में ये खुलासा किया कि मेरा स्वभाव और मेरे पति का स्वभाव बिल्कुल उल्टा है। मैं हमेशा हँसती रहती हूँ और वे कभी नहीं हंसते। मैं हमेशा बोलती रहती हूँ और वे दिन में मुश्किल से चार पांच वाक्य बोलते हैं। डॉक्टर नारायणमूर्ति बहुत कम बोलते हैं। उनकी पत्नी सुधा मूर्ति स्वयं एक लेखिका एवं समाजसेवी हैं। इतने बड़े व्यक्तित्व के धनी डॉक्टर नारायणमूर्ति इतना कम बोलते हैं, इनसे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। हमेशा ज्यादा से ज्यादा सुनना चाहिए और कम से कम बोलना चाहिए। ज़्यादा से ज़्यादा रेडियो सुनना, अखबार पढ़ना, विद्वान लोगों की बातों को सुनना और कम से कम बोलना मनुष्य का अच्छा गुण होता है। जितना कम बोलोगे, अथवा मौन रहेंगे उतनी ही आपकी शक्ति संचित रहेंगी। आप के बारे में लोगों की धारणाएं जैसी बनती है, ये आपकी वाणी को सुन कर तय की जाती है। कम से कम बोले, अधिकाधिक सुनें, यही जीवन का मंत्र होना चाहिए। जो व्यक्ति दिन भर अपना समय अधिक से अधिक बोलने में व्यतीत करता है, लोग उनकी बातों को भी अनसुना कर देते हैं। जो जितना कम बोलता है, लोग उसकी बातों को उतना ही अधिक ध्यान से सुनते हैं। अच्छा बोलो। कम बोलो। सच बोलो। मीठा बोलो। यही जीवन का मूलमंत्र होना चाहिए।
सनातन धर्म मे मौन व्रत धारण करने से कई फ़ायदों का वर्णन किया गया है ।
जितना मौन रहेंगे, उतना ही क्रोध पर
नियंत्रण होगा । मौन रहने से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा की बचत होती है । उस ऊर्जा
का प्रयोग बाद मे भी सही जगह पर कर सकते है । मौन की अवस्था मे आत्मविश्वास मे बढ़ोतरी होती है । मौन
रहकर अपने इष्ट देव के सामने बेठने से भाग्य , बुद्धि और बल मे वृद्धि होती है । अधिक बोलने से वाणी
दोष लगता है। मौन रहने से वाणी दोष से मुक्ति मिलती है । मौन रहने से अपने आस पास
नकारात्मक ऊर्जा हटकर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है । प्रायः देखा गया है कि बहुत ऊंची
आवाज मे बात करने वालों का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और दिल का दौरा पड़ने का ज्यादा
खतरा रहता है । सत्य बोलो , मीठा बोलो , थोड़ा बोलो ।
Very true
ReplyDeleteSo Nice most useful & effective way to talking or behavior, analyzed in simple and Communicative Hindi language by Great Social Reformer is Appriciable !
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