बनता बिगड़ता बचपन

     मैं गाड़ी लेकर एक गली से निकल रहा था कि गली के बच्चों ने जानबूझकर मेरी कार पर पत्थर फेकें। मेरी गाड़ी का शीशा टूट गया। बच्चें बहुत खुश हुए। मैनें कार रोकी, बच्चें खिलखिलातें हुए भाग गये और मेरी आँखों से ओझल हो गये। मैं लाचार था। कुछ कर नहीं सकता था। गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ गया। इस प्रकार की घटनायें बालकों द्वारा अक्सर की जाती हैं।

    चलती रेलगाड़ी को पत्थर मारना कई जगह देखा जाता हैं। गुब्बारां में पानी भरके अनजान राहगीरो के ऊपर फोड़ कर भी बच्चों को हँसते हुए देखा गया हैं। कई घरों में बच्चों का व्यवहार बड़ा ही अशोभनीय होता हैं, इसे देखकर अतिथि तो आश्चर्य करते ही हैं, बच्चों के माता-पिता का भी सिर शर्म से झुक जाता हैं। घर को गंदा रखना, अपने खेलने और पढ़ने की सामाग्री बिखेरते रहना, घर में जोर-जोर से बोलना, अंगूठा चूसना, नाखून खाना, बड़ो की बात को अनसुना करना, अपने कपड़ो को गंदा रखना, अपने से बड़ों का अभिवादन नहीं करना, आये हुए मेहमानों से शालीनता से नहीं बोलना, आदि अनेक बुराइयाँ बच्चों मे देखी जाती हैं। इस प्रकार के अवगुण बच्चों में नही होने चाहिए।

    अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छी-अच्छी शिक्षाएँ देनी चाहिए। समय पर उठना, नित्यकर्म करना, व्यायाम करना, पढ़ाई करना, ब्रेक फास्ट करना आदि जरूरी कामों के साथ-साथ कुछ समय ईश्वर की अराधना में भी लगाना चाहिए। छोटे बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार भगवान की आरती और स्तुति याद करानी चाहिए। थोड़ा बड़ा होने पर कुछ श्लोक भी सिखाने चाहिए। जिनको वह सुबह-शाम भगवान के आगे विनम्रतापूर्वक बोल सके। माता-पिता और भगवान की पूजा सेवा बच्चे का परम कर्तव्य हैं, ऐसी शिक्षा अपने बच्चों को देनी बहुत जरूरी हैं। शुद्ध आचरण करना, प्रेम से बोलना, सदैव सत्य बोलना, चोरी नहीं करना, किसी की चुगली नहीं करना, आपस में प्रेम से रहना, मितव्ययता, किसी वस्तु के लिए जिद नहीं करना आदि गुण उसमें भरने चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए। फास्ट फूड या बाहर की चटपटी चीजों से बचना चाहिए। मोबाईल और लेपटॉप का प्रयोग जो बच्चे कर रहें हैं, उन पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए। उनको अच्छे-बुरे का ज्ञान कराना चाहिए। ऑनलाइन अनावश्यक पत्र-व्यवहार करने से रोकना चाहिए। सोशल मीडिया से जो गलत चीजें बच्चे सीखते हैं, उससे बच्चों को सचेत करना चाहिए। ऑनलाइन खाने-पीने की चीजें कभी नहीं मंगानी चाहिए तथा ऑनलाइन सामान मंगाने के लिए पेरेन्ट्स की अनुमति लेनी चाहिये। माता-पिता को बच्चों के साथ जितना हो सकें अधिक से अधिक समय देना चाहिए। बच्चों को मित्रवत अच्छी-अच्छी शिक्षाएँ देते रहे, तभी आपका बच्चा समाज में, देश में आपका नाम रोशन करेगा।

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