भोजन में घुलता जहर
जिम में कसरत करते समय आजकल कई जगह अचानक मौतें हो रही हैं। उसका मुख्य कारण हार्ट फेल हैं। अपनी मांसपेशियों को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेन्ट का प्रयोग करते हैं। इन प्रोटीन सप्लीमेंन्टस में अधिकतर क्लीनिकल ट्रायल भी नहीं होते हैं। जिम के संचालक भी अधिक जानकारी नहीं रखते हैं। इनके अन्दर पेस्टीसाईड, आर्सेनिक, मर्करी, एफीड्रा लेड, हैवीमेटल्स आदि हानिकारक तत्व होते हैं। जो हदय को कमजोर करते हैं।
स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध का प्रयोगशालाओं में परीक्षण करने पर पता चला कि उसमे भी खतरनाक रसायन विद्यमान हैं। माताओं की फूडचैन में केमिकल आ जाते हैं, इसी कारण माँ के दूध में भी वे केमिकल प्रवेश कर जाते हैं। जिसका सीधा कुप्रभाव दूध पीने वाले बच्चे पर होता हैं। बचपन में ही बच्चा कैंसर, किडनी, लीवर, फेफडे़ और हदय रोग जैसी घातक बिमारियां से ग्रसित हो जाता हैं।
बाजार में उपलब्ध सब्जियाँ एवं फल प्रतिदिन रसायनिक कीटनाशकों के प्रभाव से दुषित होती जा रही हैं। कई बार तो आवश्यकता से अधिक कीटनाशकां व हार्मोन्स का प्रयोग इतना अत्यधिक होता हैं, जिसकी आवश्यकता भी नहीं होती हैं। इनका प्रयोग करने से जहर हमारे शरीर में पहुँचकर उपद्रव करता रहता हैं। सड़कां पर खुले आम ठेलों और दूकानां पर बिकने वाले कटे हुए फल, पेय पदार्थ, चाट मसालें, पानी-पतासे, कुल्फी आदि खाने से भी हैजा, पीलिया, टायफाईड आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। दुषित भोजन एवं दुषित पेय पदार्थ का बच्चों पर जल्दी दुष्प्रभाव पड़ता हैं। ज्यादातर डायरिया, दस्त, टाइफाईड, हिपेटाईटिस A आदि बीमारियाँ इसी वजह से होती हैं। जोधपुर में हर महिने घी के गोदामां पर छापा मारा जाता हैं, जहाँ हजारां लीटर नकली घी बनाकर बाजार में बेचा जाता हैं। किसी भी कम्पनी का घी चाहिए, वह आपको डुप्लीकेट बनाकर दस-बीस डिब्बे तुरंत दे देगें।
इस प्रकार
खाने पीने की चीजों में
मिलावट, खतरनाक रसायन
और कृत्रिम रंगो
के कारण हमारा
भोज्य पदार्थ दूषित
हो गया हैं।
बहुत ही सचेत रहने की
आवश्यकता हैं। ऐसे-ऐसे उपाय
करने चाहिए कि
हमारे भोजन में
खतरनाक जहर ना आ सके
और हम स्वस्थ
रह सके।
मिलावट से बचना कठिन हो रहा है!
ReplyDeleteVery nice information sirji🙏🙏
ReplyDeleteNicely explain sir
ReplyDeleteWe will have to begin own cultivation
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