दिल की बात
वैज्ञानिक शोद्य से यह पता चला हैं कि 30 वर्ष की आयु के बाद शरीर और मस्तिष्क में तीव्रगति से बदलाव होते हैं। रक्त पम्प करने की हदय की क्षमता घटने लगती हैं। हदय की मासंपेशियाँ कठोर होती जाती हैं। धमनियां में कोलेस्टॉ्रल जमता जाता हैं। हड्डियों में लिविंग टिश्यू रोज टूटते बनते हैं। लेकिन 50 वर्ष की उम्र के बाद इनका टूटना तीव्रगति से हो जाता हैं। शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती हैं। मस्तिष्क का वजन घटने लगता हैं। मस्तिष्क सिकुड़ने की प्रकिया तेज हो जाती हैं। याद्दाश्त कम हो जाती हैं। नये शब्द याद करना कठिन हो जाता हैं। बर्न होने वाली कैलोरी कम होने लगती हैं। पूरे शरीर पर उम्र बढ़ने का असर दिखाई देता हैं। लेकिन मस्तिष्क पर इसका असर अधिक पड़ता हैं।
यह परिस्थिति
हर व्यक्ति के
जीवन में 30-40-50-60-70 के
बाद आती रहती
हैं। इनसे बचने
के लिये सरल
व्यायाम नियमित करते
रहना चाहिए। साईकल
चलाना, तैरना, पैदल
चलना आदि आपके
शरीर मे ऊर्जा
का संचार करता
हैं। कोई न कोई हॉबी
जरूर अपनायें। लोगां
से मेलजोल रखें।
छोटे बच्चां के
साथ अधिक से अधिक समय
व्यतीत करें। कभी-कभी पहेलियाँ
हल करना, लूडो,
कैरम, शतरंज, ताश
आदि खेल खेलते
रहना, हारमोनियम, बांसुरी,
सितार आदि कोई वाद्य यंत्र
बजाना, मन ही मन गुनगुनाते
रहना और पोषक तत्वों से
भरपूर सात्विक भोजन
समुचित मात्रा में
करते रहना चाहिए।
वजन उठाने वाली
एक्सरसाईज भी आपकी
हड्डियां को मजबूत
करती हैं। वॉकिंग,
जॉगिंग, लॉफिंग और
सिंगिंग आपके स्वास्थ्य
को अच्छा बनाए
रखती हैं। डीनर
के बाद 15 मिनिट
तक वॉकिंग जरूर
करें। बहुत अधिक
थकावट वाला व्यायाम
नहीं करें। सदैव
अपना दिल खुश रखें। किसी
प्रकार के अभाव को भी
अभाव न समझें।
अभाव में भी सुखपूर्वक जीने की आदत बनावें।
अपने आप में स्वंय से
बात करने की आदत से
आपका दिल सदैव
प्रसन्नचित रहेगा। गाना
सुनना व गाना, गाना हदय
व मस्तिष्क को
सदैव प्रसन्नचित रखता
हैं। अतः मन पसन्द गाने
सुनते रहें व गुनगुनाते रहें।
Nice article sir
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