गुनगुनाते रहो

 आस्ट्रेलिया, अमेरिका के कई विश्व विद्यालयां में यह शोघ कार्य हुआ हैं कि पक्षी भी गाना गाते हैं, संगीत बनाते हैं और एक दूसरे से सीखते और सिखाते हैं। न्यूरोबायोलॉजिस्ट और बर्डसोंग स्पेशलिस्ट टीना रोसके कहती हैं कि लय और ताल जैसी खुबियों का इस्तेमाल बर्डसांगस में भी चिड़िया करती हैं। डॉक्टर माईक वेबस्टर कहते हैं कि बुलबुल दूसरी चिड़ियाओं को इसी तरह पहचान लेते हैं, जैसे हम इंसान बोली से एक-दूसरे को पहचान लेते हैं। बराबर गुनगुनाते रहना पक्षियां के स्वस्थ जीवन का मुख्य कारण हैं। पक्षी जब आपस मे मिलते हैं तब एक-दूसरे का अभिवादन चहक-चहक कर करते हैं। यही उनका गीत और संगीत हैं।

    गीत और संगीत मनुष्य को प्रसन्न रखता हैं। वातावरण में हवा का सुर, पक्षियां की कलरव, पेड़ के पत्तों की आवाजें, कीट पतंगो की सुरसुराहट जंगल मे आने वाली वास्तविक ध्वनियाँ बहुत आनन्ददायक होती हैं। वाद्य यंत्रां को बजाने वाले कलाकार भी विभिन्न प्रकार की राग-रागिनीयाँ पैदा करते हैं। लाखों लोगां की मन को प्रभावित करते हैं।

    जरूरी नहीं हैं की हर व्यक्ति सुरीला गा सके। लेकिन कर्ण प्रिय सभी गुनगुना सकते हैं। कई लोगां की आदत नहाते समय गाना गाने या गुनगुनाते की होती हैं। उन्हें बाथरूम सिंगर बोलते हैं। गाना गाते-गाते कब स्नान की प्रकिया पूरी हो गई पता ही नही चलता। खेतां में फसल काटते समय भी औरतें और आदमी सामूहिक रूप से लयबद्ध तरीके से गाते रहते हैं। भारी से भारी काम बिना थकावट के पूरा हो जाता हैं। हाथ से चलने वाली चक्की से सुबह-सुबह आटा पीसा जाता हैं। उस समय चक्की चलाते-चलाते भगवान के भजन गाये गुनगुनाये जाते हैं। जिससे बिल्कुल थकान नहीं लगती और काम भी हो जाता हैं। गाँवों मे तो हर अवसर के लिये विभिन्न प्रकार के पारंम्परिक गीत महिलाओं और पुरूषो द्वारा गाये जाते हैं। गाँवों में गाये जाने वाले लोकगीतों में वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग नहीं होता हैं। हर शुभ अवसर पर अलग-अलग प्रकार के गीत अलग-अलग स्वर में गाये जाते हैं। इसके लिए गाँव में जो अनुभवी गायक होता हैं, वह नेतृत्व करता हैं और उसके पीछे-पीछे सभी लोग गाते हैं।

    गीत-संगीत नियमित रूप से सुनने से कई बीमारियाँ भी दूर हो जाती हैं। स्वर एवं शस्त्र वैज्ञानिक इस पर सतत् रिसर्च कर रहे हैं। पशुआें को भी संगीत प्रिय होता हैं। कृष्ण भगवान की बांसुरी की ध्वनि गायें अच्छी तरह समझती थी। एक रिसर्च के अनुसार गाय को दुहते समय सुरीला संगीत गाय को सुनाया जाए तो दूध अधिक देती हैं। सदैव गुनगुनाते रहना चाहिए। गुनगुनाना बहुत ही स्वास्थ्यप्रद होता हैं। गुनगुनाने से आदमी अपना दुख भूल जाता हैं। गुनगुनाना स्वंय के लिए तो लाभप्रद हैं ही, आपके आसपास का वातावरण भी सुखद हो जाता हैं।

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