प्राणवायु

05 जून का विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। प्रकृति ने जितनी भी मनुष्य के लिए अतिआवश्यक जीवनीय वस्तुऐं है, उन्हें एकदम निःशुल्क और बिना किसी भेदभाव के सबको उपलब्ध कराई हैं। जैसेः- प्राणवायु, जल, भूमि, वन, पशुधन, मौसम, सूर्य का प्रकाश, वन से भोजन आदि। इन सभी संसाधनों का हम जीवित रहने के लिए प्रतिक्षण उपभोग करते हैं। उसके बदले में प्रकृति हमसे कुछ भी शुल्क नहीं मांगती हैं।

हमने इन प्राकृतिक संसाधनां का जमकर दुरूपयोग प्रदूषित किया। जिसका दुष्परिणाम हम प्रतिक्षण भुगत रहे हैं। विगत कोरोना काल में हमें ऑक्सीजन का महत्त्व पता चला। जो ऑक्सीजन प्रकृति हमें अनादि काल से शुद्ध और पर्याप्त मात्रा में देती रही हैं, वह लाखों रूपये खर्च करने पर भी प्राप्त नहीं हो सकी। उसके लिए अरबों रूपये पूरे विश्व में खर्च किये गये। विकासशील राष्ट्रों के तो छोड़िये अपने आप को धनाढ़य समझने वाले देशों में भी ऑक्सीजन की कमी से लोगां के प्राण चले गए। लाखों रूपया खर्च करने पर भी उनको ऑक्सीजन समय पर नहीं मिली। ऐसी परिस्थितियाँ हर देश में बनी। प्राणवायु की कमी के कारण हजारों लाशों के ढेर उस समय देखे गए। वह दृश्य देखकर रोंगटे खड़े हो जाते थे।

प्रकृति प्रदत प्राणवायु भी अब प्रदूषित कर दी गई हैं। जहरीली गैसें पैदा करने वाले कारखाने, डीजल पैट्रोल का बढ़ती खपत, खनिज कोयले के प्रयोग में बढ़ोतरी, पृथ्वी पर वृक्षों की कमी आदि अनेक दुष्कर्म मनुष्यों द्वारा किए गए और प्राणवायु की गुणवत्ता मात्रा में कमी आती गई। परिणामतः प्रदूषित वायु के सेवन से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ तीव्रगति से बढ़ने लगी। कई वन्यजीव, पालतू पशु मनुष्य के लिए सहायक जीव-जन्तु कम होने लगे हैं। कई प्रकार के पक्षी तो अदृश्य हो गए हैं। यदि अब भी नहीं चेते तो मनुष्य का जीवन ही संकट में पड़ जायेगा। बड़े शहरों में तो सांस की कमी अनुभव होगी। उस समय जगह-जगह ऑक्सीजन बूथ लगेंगें। जब भी आपको यह महसूस हो कि मेरा ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा हैं, आप उस बूथ में जाकर पैसे देकर अपने शरीर को ऑक्सीजन से रिचार्ज कर सकते हैं। शरीर में कितनी ऑक्सीजन हैं इसका पता लगाने के लिए छोटे-छोटे उपकरण बाजार में सस्ती कीमत पर उपलब्ध हैं। जिन्हें आप जेब में लेकर घूम सकते हैं। इसको अंगुली में पहनते ही आपकी बॉडी का ऑक्सीजन लेवल कितने प्रतिशत हैं, मालूम हो जायेगा। कम होने पर तुरंत सार्वजनिक ऑक्सीजन बॉक्स में जाकर पैसे देकर आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं। तब जाकर आपको ऑक्सीजन की सही कीमत पता चलेगी।

पेड़ लगाना ऑक्सीजन पैदा करने का सबसे बढ़िया तरीका हैं। अमीर गरीब, छोटा, बड़ा, स्त्री, पुरूष, गोरा, काला कोई भी कहीं पर भी वृक्षारोपण कर सकता हैं। वृक्ष जो ऑक्सीजन देता हैं, वह सार्वजनिक होती हैं। उसमें प्रत्येक प्राणी की हिस्सेदारी होती हैं। भारतीय दर्शन मे ंतो विभिन्न प्रकार के वृक्षों पर शोध करके यह निर्देश भी दिए हैं कि कौनसा पेड़ कहाँ लगना चाहिए? किस पेड़ को लगाने से क्या पुण्य मिलता हैं? पेड़ों को भगवान माना गया हैं। उनको काटना पाप माना गया हैं। यही कारण हैं कि आज हमारे यहाँ ऐसे कई ओरण, गोचर, गोड फोरेस्ट प्रत्येक गाँव में मिल जायेगें, जहाँ से आज दिन तक कोई पेड़ नहीं काटा गया हैं। पेड़ एक तरफ ऑक्सीजन तो बनाता हैं साथ ही प्राणवायु को शुद्ध भी करता हैं। अतः अधिकाधिक वृक्षारोपण इस समस्या का समाधान हैं।

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