देशाटन
आदिकाल से मनुष्य की रूचि घूमने-फिरने में रही हैं। जिसकी जितनी क्षमता होती थी उतनी दूरी तक वह घूमता था। समुन्द्री यात्राएँ पौराणिककाल से होती आ रही हैं। लोग अपने ज्ञान की वृद्धि करने, अन्य देशों-प्रदेशों के लोगों की जानकारी लेने, वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों का आनन्द लेने, अक्सर लम्बे समय के लिए प्रवास पर जाते थे। साधन कम थे। पैदल ही लम्बी-लम्बी यात्राएँ कर लेते थे। सड़कें नहीं थी। पगडंडियों और दुर्गम कच्चे रास्तों पर ही चलते थे। पर्यटन मनुष्य का स्वाभाविक गुण हैं। आदिगुरू शंकराचार्य ने पैदल चलकर ही भारतवर्ष की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। उन्होनें यह भी कहा कि संभव हो तो जीवन में एक बार इन चार धामों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
प्राचीन काल से उच्च शिक्षा के लिये भी पर्यटन किया जाता था, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं। देश विदेश के भिन्न-भिन्न भागों में वहां की जलवायु के अनुसार स्वास्थ्य लाभ लेना भी आजकल कई लोगों के लिये आवश्यक हो गया हैं। अपनी-अपनी बीमारी के अनुसार लोग पहाड़ी, रेगिस्तानी, समुन्द्री तट व घने जंगलों में कुछ दिन पर्यटन पर जाते हैं और स्वास्थ्य लाभ लेते हैं।
समय बदला, तीर्थ और दर्शनीय स्थलों का विकास हुआ। आवागमन के साधन और सड़कां का विकास हुआ। जगह-जगह यात्रियों की सुविधा के लिये धर्मशालायें, भोजनशालायें व अनेका अनेक सुविधाओं का विकास पूरे विश्व में हुआ। इंटरनेट का युग आ गया। गतंव्य स्थल की सारी नवीनतम जानकारी आपके मोबाईल और लेपटॉप पर उपलब्ध रहती हैं।
वैसे तो माता-पिता के लिए काम और बच्चों के लिए पढ़ाई सत्त चलती रहती हैं। लेकिन स्कूलों में सर्दी-गर्मी की छुट्टियों के साथ माता-पिता अवकाश लेकर इनका सबसे बढ़िया उपयोग देशाटन में कर सकते हैं। देशाटन की योजना बहुत बारीकी से काफी समय पहले बनानी चाहिए। अपने घर से पर्यटन स्थल की दूरी, जाने के साधन, वहाँ रहने की सुविधा, वहाँ का तापमान और जलवायु, वहाँ के खर्चे आदि की पूरी जानकारी करें। पूरी तैयारी के साथ कम से कम सामान लेकर यात्रा करनी चाहिए। यात्रा में जाने से पूर्व वहाँ की सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, कानून व्यवस्था आदि का पूरा नवीनतम अध्ययन कर लेना चाहिए। आपका कोई मित्र पहले जा चुका है तो उससे जानकारी लेना भी ठीक रहता हैं। अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार घूमने-फिरने का कार्यक्रम बनाना चाहिए। तीर्थो और पर्यटक स्थलों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी आपका व आपके बच्चों का ज्ञानवर्धन करेगा।
Sir your today's blog is quite different than others its a knowledgeable thoughts of pilgrimor or travellers
ReplyDeleteWe should choose about safe places and easier
Today I reads in paper that 119 pilgrim a are died in 45 days but about 2lacs and above were travelled in char dham so its natural
I agree with your draft
Rightly pointed sir.
ReplyDeleteBest use of summer and winter break 🎉
ReplyDeleteYes sir
ReplyDeleteBilkul sahi ....aur jab bhi kisi tour ka plan bane apne baccho ko us place se introduce jaroor kare..ye us tour ko sur bhi interesting bana dega
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