अभिवादन

 अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।

चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।

परिवार में अपने से बड़ों का प्रतिदिन अभिवादन करने से आयु, विद्या, यश और बल (शक्ति) की बढ़ोतरी होती हैं। ऐसा हमारे शास्त्रों में कहा गया हैं। चरणस्पर्श करना, दण्डवत प्रणाम करना, हाथ जोड़कर नमस्कार करना आदि अभिवादन के विभिन्न तरीके हैं, जो अलग-अलग समय में अलग-अलग व्यक्तियों को किये जाते हैं। विश्व के सभी धर्मों में अभिवादन का महत्त्व हैं। हर समुदाय में अपने-अपने अभिवादन के अलग-अलग तरीके चलते रहे हैं। हर देश की परिस्थितियों के अनुसार अभिवादन के तरीको की शुरूआत हुई।

               अभिवादन करने से बिना पैसा खर्च किये आपको दीर्घायु होने का आर्शीवाद मिलता हैं, यशस्वी होने का धन सम्पन्न होने का शक्तिशाली बनने का आर्शीवाद अपने से बड़ों का मिलता हैं। अभिवादन करने का अवसर कभी छोड़ना नहीं चाहिए। इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। यदि जीवन में लम्बी आयु, पर्याप्त धन, यश और शक्ति मिल जाती हैं तो हमारा जीवन सफल हो जाता हैं। वैसे इन चार चीजों को प्राप्त करने के लिए मनुष्य अपना पूरा जीवन लगा देता हैं। फिर भी मिले या नहीं मिले ये बाद की बात हैं। लेकिन अभिवादन के आर्शीवाद में इतनी ताकत हैं कि चारों चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

               भारतीय संस्कृति के अभिवादन के तरीको में कोई बुराई नहीं है, इनमें समय के साथ-साथ कोई परिवर्तन किया गया हैं। पश्चिमी देशों में हाथ मिलाकर अभिवादन किया जाता हैं। लेकिन कोरोना काल में इसको बंद कर दिया गया था। कई जगह तो हाथ की जगह टांग मिलाकर अभिवादन शुरू किया गया बाद में वो बंद हो गया। चीन में जीभ मिलाकर अभिवादन करने की प्रथा को भी उन्होनें काफी बंद कर दिया। कई देशों में गले मिलकर अभिवादन किया जाता हैं लेकिन कोरोना काल में लोगों ने इस तरीके को भी छोड़ दिया था। कई अफ्रीकी देशों में गाल पर या गर्दन पर चुम्बन लेकर अभिवादन करने का रिवाज हैं। इस प्रकार विभिन्न समुदायों में अभिवादन के अपने-अपने तरीके हैं जिनमें समय-समय पर बदलाव होता रहता हैं।

               अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार अभिवादन करने के विभिन्न तरीको की शिक्षा बचपन से ही देते रहना चाहिए। जब भी आपके घर कोई मेहमान आये या आप किसी के घर जाये, उस समय बच्चे अभिवादन अवश्य करें। ऐसा प्रशिक्षण देना नितांत आवश्यक हैं। हैलो, हाय तो हमारे बच्चे सीख  रहे हैं उसकी बजाय भारतीय अभिवादन के तरीकों को सिखना चाहिए। नमस्ते, नमस्कार, प्रणाम, जय श्री कृष्णा, जय राम जी की, जय माता दी, नमो नारायण आदि सैकड़ों सम्बोधन हमारे अभिवादन के होते हैं। बचपन में सिखाई हुई अच्छी आदतें जीवनभर उनके काम आती हैं। आपने अपने बच्चों को जो भी अच्छी शिक्षा दी है वह शिक्षा आपके पोता-पोतियों को टं्रासफर होगी। आने वाली पीढ़ियों तक यह वंशानुगत ज्ञान हो जाएगा।

Comments

  1. Yes sir I agree with you

    ReplyDelete
  2. How many of your friends can read Hindi?How to reply your blog? CRRao

    ReplyDelete
  3. Aap bahut saral sabdo me satik baat explain kr dete he.👏👏

    ReplyDelete
  4. आपने बहुत ही सरल व्यवहारिक बात बताने का प्रयास किया है

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे