बच्चों का पुस्तक प्रेम
आजकल सोते समय टेलीविजन पर कार्यक्रम देखते-देखते ही नींद आती हैं। कई बच्चे फोन पर गेम खेलते हैं या अपनी पसंद के कार्यक्रम देखते हैं। रात दस बजे के बाद में बच्चे फोन और टेलीविजन पर व्यस्त हो जाते हैं। यह एक बुरी आदत हैं। टेलीविजन और फोन पर कैसे-कैसे कार्यक्रम प्रसारित होते हैं और उनका बच्चों के चरित्र पर कैसा प्रभाव पड़ता हैं? यह सभी लोग जानते हैं। परिवार में अगर कोई सदस्य उसका विरोध करता हैं तो दो सदस्य बच्चों के पक्ष में बोलने के लिए भी तैयार रहते हैं। वे यह सफाई देते हैं कि ‘‘अभी तो देखना शुरू किया हैं, दिनभर तो पढ़ता ही रहता हैं, कुछ तो मनोरंजन करेगा ही‘‘ यही क्षण बच्चे को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त हैं।
इस समस्या से
छुटकारा पाने के लिए माता-पिता को
चाहिए कि बच्चो
को डीनर के बाद अपनी
संगत में रखें।
अच्छी-अच्छी मनोरंजक
कहानियाँ, चुटकुले, परिवार का
सुनहरा इतिहास, दादा-दादी और
नाना-नानी की कहानियाँ तथा पुराने
जमाने के बच्चों
की गीतों से
उनका इतना मनोरंजन
करें कि उसको गहरी नींद
आ जाये। सदैव
ध्यान रखें जब तक बच्चे
सो नहीं जाये
तब तक कोई ज्ञानवर्धक बातें करें।
ऐसा नहीं हैं
कि टेलीविजन और
फोन केवल अशोभनीय
कार्यक्रम ही प्रस्तुत
करते हैं। कुछ
प्रोग्राम जीवन उपयोगी,
ज्ञानवर्धक और चरित्र
निमार्ण में सहायक
भी होते हैं।
उन कार्यक्रमों की
जानकारी बच्चों को
दें। उनके देखने
का भी समय निश्चित करें। रोज
के ताजा समाचार
देखने की रूचि भी बच्चों
में पैदा करें।
कहानियां और ज्ञानवर्धक
पुस्तकें पढ़ने का
भी एक जमाना
था। जिसे इलेक्ट्रोनिक
मीडिया ने करीब-करीब अब
भुला दिया गया
हैं। अच्छी-अच्छी
पुस्तकें आज भी
सस्ती कीमत पर बाजार में
उपलब्ध हैं। उनको
लाकर बच्चों को
पढ़ने की आदत डाली जाए।
धीरे-धीरे बच्चे
की रूचि जागेगी।
वह खुद डिमाण्ड
करेगा कि मुझे और अच्छी
पुस्तकें लाकर दीजिये।
जिस समय बच्चा
अपनी मर्जी से
पुस्तक मांगे, तो
समझना चाहिए कि
आप अपने मिशन
में सफल हो रहे हैं
और आपका बच्चा
आपके चाहे अनुसार
सही दिशा में
कदम रख रहा हैं।
Rightly said.
ReplyDeleteSir your blogger is appreciable
ReplyDeleteAm agreed with your thoughts
Very true sir. Children do need guidance during their early life.
ReplyDeleteAbsolutely right
ReplyDeleteParents are busy with their own world, they have no time for their own children. In past grand mother and Dada have time to say value based methodology story.
ReplyDeleteConcept of single families is responsible for to keep children away with this treasure.Traditional outdoor games should promote.
Great 👍
ReplyDeleteReal perfect thought
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