बचपन में घुलता जहर

 जिला बहराईच (उत्तरप्रदेश) की घटना है। एक पोते ने अपनी दादी से गुटखा खाने के लिए पैसे मांगे। दादी घर के काम में लगी थी और पोते की बात को अनसुना कर दिया। पोते को इतना गुस्सा आया कि उसने दादी के सिर पर लट्ठ मार दिया और दादी वहीं मर गई। दूसरी घटना जोधपुर की हैं एक मशहूर इंग्लिश मिडियम स्कूल के आठवीं कक्षा के छात्र के स्कूल बैग में अंग्रेजी शराब का पव्वा मिला। स्कूल के टीचर ने छात्र के माता-पिता को बुलाकर इस घटना की जानकारी दी। माता-पिता शर्म के मारे सर नीचा करके सुनते रहे। तीसरी घटना पाली की हैं। एक विद्यार्थी अपने पिता की जेब में से रोज कुछ रूपये चुपके-चुपके निकालता था और नशेड़ियों की संगत के कारण गु्रप में नशेबाजी करता था। एक दिन रंगे हाथों पकड़ा गया। स्कूल से सीधे वह अपने साथियों के साथ अड्डे पर पहुंच गया और उसके पिता ने देख लिया। उसकी पिटाई करने पर उसने बताया कि यह क्रम पिछले दो साल से चल रहा हैं। हमारा पाँच-छः दोस्तों का गु्रप घर से चुपके-चुपके पैसे लाकर स्मैक पीते हैं। चौथी घटना बहुत बड़े शहर की हैं जिसमें हुक्काबार जगह-जगह पर चलते हैं। एक बार पुलिस ने छापा मारा उसमें कॉलेज के छात्र-छात्राएँ पकड़े गए। लेकिन आश्चर्य तो तब हुआ जब आठवीं और नवीं कक्षा के बच्चे भी उसमें शामिल थे।

               ऊपर की चार घटनाएँ तो मात्र एक उदाहरण हैं। जाने इस प्रकार की नशे की प्रवृति कम उम्र के बच्चों में घर कर गई हैं, जिसका पता माता-पिता को भी नहीं हैं। यह एक खतरनाक सामाजिक और पारिवारिक दशा का संकेत करती हैं। बच्चों की हर हरकतों पर माता-पिता की पैनी नजर होनी चाहिए। माता-पिता ही इसके लिए पूर्णतः दोषी हैं और माता-पिता को ही इसका समाधान करना होगा। बच्चे को अधिक से अधिक समय देना और उसको रचनात्मक कार्यो में संलग्न रखना, घर से जाते समय और आते समय उस पर निगरानी रखना, उसके मित्रों की जानकारी रखना आदि अनेक कार्य माता-पिता कर सकते हैं। माता-पिता की चौकसी ही विद्यार्थी को गलत संगत से बचाकर सही रास्ते पर ला सकते हैं। इस भयंकर बुराई को कई माता-पिता हल्के में ले लेते हैं और कहते हैं कि ‘‘अभी तो बच्चा हैं, बड़ा होगा तो सुधर जाएगा‘‘ ऐसी प्रवृति उचित नहीं हैं। बचपन की नशे की प्रवृति आगे जीवन में बड़ी-बड़ी बुरी आदतों की जननी हैं।

Comments

  1. Well said sir! Parents should spent atleast an hour with their children and teach them good practices.

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  2. धन्यवाद जी

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