पेड़ों पर लटकती ऑर्गेनिक सब्जियाँ
पश्चिमी राजस्थान में सिंचाई के साधनों की कमी के कारण किसान ज्यादातर सब्जियों की फसलें नहीं उगाता। यहाँ के किसान अधिकतर वर्षा आधारित फसलों की ही खेती करता हैं। सब्जियों की खेती में जितना पानी चाहिए उतना पानी किसानों के पास नहीं हैं। अतः खरीफ की फसल के रूप में होने वाली सब्जियों वाली फसलों को बोया जाता हैं। इनमें ग्वारफली, मतीरा, टिंडा, लोबिया, काकड़ी, काचरा, चौलाई आदि सब्जियाँ अनाज की फसलों के साथ बोई जाती हैं। यह सब्जियाँ अगस्त से लेकर दिसम्बर तक खेतों में उपलब्ध रहती हैं। वर्षा आधारित खेती पूर्णरूप से ऑर्गेनिक होती हैं। अतः यह सारी सब्जियाँ भी 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक रहती हैं। अगस्त से लेकर दिसम्बर तक इन सब्जियों की गाँवों में भरमार रहती हैं। कुछ सब्जियों के व्यापारी इन सब्जियों को गाँवों से खरीदकर शहरों में बेचते हैं। अतः ग्रामीण लोगों के साथ-साथ यह शहरी लोगों को भी सीजन में उपलब्ध हो जाती हैं। इन सब्जियों में स्वाद, सुगंध, पौष्टिकता और टिकाऊपन बहुत अधिक होता हैं। क्योंकि इनकी खेती कठिन जलवायु और ऑर्गेनिक होती हैं।
गर्मियों की सीजन में इन
सब्जियों की खेती
सिंचाई के अभाव में संभव
ही नहीं हैं।
रेगिस्तान में कुछ
वृक्ष ऐसे हैं जो यहाँ
की कठिन परिस्थितियों
में भी वर्षपर्यन्त
हरे भरे रहते
हैं और गर्मीयों
के मौसम में
फल फूल देते
हैं। जिनका उपयोग
सब्जी के रूप में और
रसीले फलों के रूप में
आदिकाल से यहाँ के लोग
करते आ रहे हैं। खेजड़ी
के पेड़ पर लगने वाले
कच्चे फलों को सांगरी और
पक्के हुए फलों
को खोखा बोलते
हैं। केर के कच्चे फलों
को केर और पक्के हुए
फलों को ठालू बोलते हैं।
गूंदा के कच्चे
फल सब्जियों व
आचार में काम में लेते
हैं और पक्का
हुआ फल रसीलेफल
की तरह खाया
जाता हैं। कुमट
के पेड़ पर जो फलियाँ
लगती हैं उसमें
बीज होता हैं
उसको कुमटिया कहते
हैं। सहजन के पेड़ पर
लगने वाली फलियों
की सब्जी सभी
जगह खाई जाती
हैं। इन सबको सब्जियों व फलों के रूप
में खाया जाता
हैं।
इस प्रकार
पेड़ों पर लगने वाली सब्जियाँ
गर्मी के मौसम में ताजी
उपलब्ध होती हैं।
इनकी पौष्टिकता बहुत
अधिक होती हैं।
शरीर में रोगप्रतिरोधक
क्षमता बढ़ाती हैं।
इन सभी सब्जियों
को उबालकर सुखाकर
पूरे वर्ष के लिए प्रोसेस
करके प्राकृतिक रूप
से प्रिर्जव करके
रखते हैं। जिसे
ऑफसीजन में प्रयोग
किया जाता हैं।
केर, कुमटिया, सांगरी,
गूंदा आदि पेड़ पर लगने
वाले सब्जियाँ किराणे
की दुकानों पर
शहरों में भी प्रोसेस्ड मिल जाती
हैं। लोग इसको
बडे़ चाव से और विभिन्न
उत्सवों पर इसकी सब्जी बनाते
हैं। यह सारी सब्जियाँ 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक
व प्राकृतिक होती
हैं। आजकल तो इन्हें फाईवस्टार
डिश में सम्मिलित
कर लिया गया
हैं।
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ReplyDeleteAwesome
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ReplyDeleteVery informative, loved it!
ReplyDeleteVery useful information
ReplyDeleteNice sir.
ReplyDeleteImportance of various organic vegetables in particular seasons described in detail and simple Communicative language !
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