कोचिंग : एक खतरनाक प्रथा

 राजस्थान में कोटा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। कोटा में लाखों विद्यार्थी कोचिंग करते हैं। हर माता-पिता यह चाहता हैं कि कोचिंग करके बेटा-बेटी का अच्छे पैकेज में सलेक्शन हो जाये। इसके लिये माता-पिता अपनी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा उसकी कोचिंग, रहने, खाने आदि पर खर्च करते हैं। कुछ ही बच्चों को उनकी और उनके माता-पिता की इच्छा के अनुसार सलेक्शन हो पाता हैं। बाकी बच्चे कुछ वर्षो बाद हारे हुए सिपाही की तरह वापस लौट जाते हैं। उनके मन में एक काम्पलेक्स घर कर जाता हैं और परीक्षाओं में सफलता पाकर अपने आपको जीवन में ही हारा हुआ समझ लेता हैं। क्योंकि उसने उस परीक्षा को ही पूरा जीवन समझ लिया और माता-पिता ने भी उसे इस बात के लिए प्रेरित भी नहीं किया कि परीक्षा तो जीवन का एक पार्ट है पूरा जीवन नहीं।

               पिछले कई दिनों से कोटा में कोचिंग कर रहें विद्यार्थीयों के द्वारा आत्महत्या करने की खबरे अखबारों में पढ़ी जा रहीं हैं। मैं इसमें आंकड़े देना उचित नहीं समझता, क्योंकि आंकड़े बहुत भयानक हैं। मानसिक अवसाद की पराकाष्ठा ही आत्महत्या होती हैं। इतना कठोर निर्णय विद्यार्थी सरलता से नहीं लेता अपितु वह चारों तरफ से अपने आपको हारा हुआ मानता हैं और आगे उसको कोई रास्ता नहीं सूझता और वह आत्महत्या जैसे भयंकर कदम को चुन लेता हैं।

               माता-पिता का निरंतर दबाव रहता है कि हमने बहुत सारा पैसा इस कोचिंग में आपके लिए निवेश किया हैं अतः हमें रिजल्ट तो हमारी आशा के अनुसार लाना हैं। विद्यार्थी पूरी मेहनत करता हैं। अपने माता-पिता की इच्छा के अनुसार वह बढ़िया से बढ़िया पढ़ाई करता हैं लेकिन किन्ही कारणों से वह काम्पीटीशन में थोड़ा सा पीछे रह जाता हैं। और उसके मन में डिप्रेशन आना शुरू हो जाता हैं। कई बार प्रयास करने पर भी वह अपना रिजल्ट नहीं सुधार पाता। माता-पिता का डर एवं अपने भविष्य की चिंता उसे इतना डिप्रेशन में डाल देती हैं कि वह ऐसा कदम उठा लेता हैं जिसकी उसके माता-पिता को भी आभास नहीं होता था।

               अब आप समझ गये होगें की बच्चे के जीवन के साथ माता-पिता को खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें। क्या बनना हैं क्या नहीं बनना है यह उसके भाग्य पर निर्भर करता हैं। पूरा तार्किक नहीं बनना हैं। थोड़ा भाग्यवादी भी माता-पिता को बनना चाहिए। बच्चे के शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य का ही सबसे पहले ध्यान दें। पढ़ाई दूसरे नंबर पर आती हैं।

Comments

  1. सटीक विश्लेषण

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  2. I wish all the parents do read and understand this and let their children progress as per their interest and caliber.

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  3. बिल्कुल स्पष्ट निर्देश

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  4. This is the truth of today and every family is passing through this process of life.

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  5. बहुत सी सुंदरता और सरलता के साथ इस जमाने की एक कुप्रथा को सामने लाया है आपने।।
    कोचिंग प्रथा में प्रतियोगी परीक्षा पास न करने वाले व्यक्ति के साथ जो होता है वो हम सब जानते है लेकिन कोटा जाकर उत्तीर्ण होने वाला प्रतियोगी भी जीवन की दौड़ में पीछे रह जाता है।। जीवन को एक प्रतियोगिता के रूप में देखने को प्रवृत्ति जाग जाने जैसे अनेकों उदाहरण है जो उनके जीवन को एकतरफा कर देते है।
    बहुत ही सुंदर विषय है और ध्यान देने वाला विषय है ये🙏

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  6. Let children free to decide what they want.

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