जैव विविधता

 22 मई अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस होता हैं। जैव विविधता का अर्थ है कि मनुष्य, वन्यजीव, पशु-पक्षी, कीट , पतंगां से लेकर सभी प्रकार के पेड़ पौधे और वनस्पतियाँ एक साथ वातावरण में जीवित रह सकें और विकसित हो सकें। पर्यावरण के मापदण्डों में माना जाता है कि जितनी अधिक जैव विविधता होगी उतना ही अच्छा पर्यावरण होगा।

               आज के समय में कई प्रजाति की मधुमक्खियाँ समाप्त हो गई हैं। विभिन्न प्रकार की तितलियाँ, चिड़ियाँ, बाज, केंचुए, छोटे बड़े पक्षी आदि मित्रकीट भी नष्ट हो गए हैं। साईबेरिया आदि ठण्डे देशों से राजस्थान में आने वाले विदेशी पक्षियों की भी अत्यधिक कमी आई हैं। जीव जन्तुओं और पेड़ पौधों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट करने, खेती में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग, जीव जन्तुओं का अवैध शिकार, अनावश्यक रूप से अवैज्ञानिक तरीको से जंगलों का दोहन, पेड़ों की अनावश्यक रूप से कटाई आदि कई कारणों से जैव विविधता को नुकसान पहुँचा हैं। कुछ विदेशी पौधों का हमारे देश में बिना सोचे समझे बहुत अधिक मात्रा में लगाया जाना जैसे हिमालय में लेन्टाना मैदानी भाग में जुलीफ्लोरा। इनकी वजह से स्थानीय पौधों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ हैं। कई महत्वपूर्ण औषधीय पौधें अलग-अलग मौसम में प्राकृतिकरूप से उगते थे उनकों लेन्टाना और जुलीफ्लोरा निगल गया। इतने भारी नुकसान की भरपाई करना एक कठिन कार्य तो है लेकिन सब मिलकर करें तो सभंव हैं। जैव विविधता को पुनः विकसित करने के लिए वनों का विकास, वर्षा जल संरक्षण, औद्योगिक नीतियों में सुधार, ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों को अपनाना, प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखना आदि प्रमुख कार्य तीव्रगति से करने होगें। इन सब कामों के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों से शुरूआत करके देश के नीति निर्धारकों तक को ईमानदारी से कार्य करना होगा। वैश्विक स्तर पर बड़े-बडे़ समारोह इस विषय में होते हैं। लेकिन हर व्यक्ति को अपने स्थानीय स्तर से कार्यो की शुरूआत करनी होगी। प्रत्येक नागरिक अपने गावँ में वृक्षारोपण, वर्षाजल संरक्षण, नाड़ी, तालाबों का जीर्णाद्धार, ऑर्गेनिक फॉर्मिंग का विकास सौर- ऊर्जा के साधनों का अधिक से अधिक उपयोग, जल की बचत, डीजल, पेट्रोल कोयला की खपत को जितना हो सके कम करना और वातावरण में जहरीली गैसे फैलाने वाले उद्योगों पर प्रतिबंध लगाना आदि कार्यो को गति देना होगा।

               पर्यावरण बचाने के लिए जैव विविधता विकसित करनी होगी। शुद्ध पर्यावरण के बिना मनुष्य का जीवन खतरे में हैं। घने जंगल के बिना शेर नहीं रह सकता और शेर के डर के बिना घना जंगल नहीं रह सकता। पर्यावरण संरक्षण की पहल हर नागरिक को अपने-अपने घर से शुरू करनी होगी।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला