बच्चों के प्रति माता-पिता का प्रथम कर्त्तव्य

 11वीं में पढ़ने वाले 15 वर्षीय विद्यार्थी ने चौथी कक्षा में पढ़ने वाले 8 वर्ष के बच्चे का अपहरण कर हत्या कर दी। उसके बाद बच्चे के घर में पत्र भेजकर 6 लाख रूपये की फिरोती मांगी। यह घटना अमेरिका की नहीं हैं। हरियाणा के सोनीपत जिले के एक गाँव की हैं। यह खबर पढ़कर अत्यंत दुख होता हैं और आश्चर्य भी होता हैं कि पश्चिमी देशों की देखादेखी हमारे गाँवों में भी ऐसी घटनाएँ होने लग गई हैं इसमें किसका दोष है? परिवार का माहौल, स्कूल का माहौल या सामाजिक स्तर में बदलाव?

               हमारे हर क्रियाकलाप का बच्चों पर तुरंत प्रभाव पड़ता हैं। बच्चे हमेशा जैसा कहते हैं वैसा नहीं करते, परन्तु परिवार में जैसा देखते हैं वैसा ही सीखते हैं। आजकल बच्चों को सीखाने के लिए दूरदर्शन पर भद्दे- भद्दे कार्यक्रम परोसे जा रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे कार्यक्रम माता-पिता अपने बच्चों के साथ देख भी नहीं सकते। साथ ही साथ मोबाईल फोन से बच्चे हर समय मनोरंजन किया करते हैं। इस मनोरंजन और पढ़ाई की आड़ में बच्चे क्या-क्या खुरापात सीख रहे हैं? यह सभी माता-पिता से छुपा हुआ नहीं हैं। बच्चों का अधिकतम समय मोबाईल के साथ व्यतीत हो रहा हैं। आउटडोर गेम इनडोर गेम से बच्चे दूर होते जा रहे हैं। परिणाम सबके सामने है बच्चों की एकाग्रता मोबाईल के साथ जुड़ी रहती हैं। घर में क्या हो रहा हैं, बच्चों को उससे कोई मतलब नहीं रह गया हैं। परिणामतः बच्चे डिप्रेशन में रहे हैं और उनकी आँखें बचपन में ही कमजोर हो जाती हैं और उनका शारीरिक विकास भी रूक जाता हैं।

               ऐसी खतरनाक लत हमारे बच्चों की होती जा रही हैं। माता-पिता का दायित्व है कि उनको मोबाईल देकर समय दें। शुरू-शुरू में मोबाईल छीनने से बच्चे में चिड़चिड़ापन आयेगा। उस परिस्थिति में बच्चों को प्यार स्नेह की आवश्यकता होती हैं अतः परिवार में बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उसके साथ मित्रता का व्यवहार करते हुए पारिवारिक, धार्मिक और नैतिक शिक्षा की बातें करें और अपने जीवन में भी इनको चरितार्थ करें। बच्चे के सामने ऐसी कोई हरकत नहीं करें जिससे बच्चा अनायास ही सीखकर रास्ते से भटक जाये। बच्चों का सर्वांगीण विकास माता-पिता परिवार के बड़े लोगों की प्रथम जिम्मेवारी हैं। परिवार का वातावरण, सोच विचार भोजन आदि हमेशा पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता हैं।

Comments

  1. Such a beautiful blog

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  2. Really it's TRUE

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  3. Due to micro family difficult to maintain children without Mobil and TV due to Husbend and Wife working.

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  4. Bahut hi aacha margdarsan kiya hai aapne sir

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  5. Moral value keep up alwys....Nice article sir

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  6. Parents must devote some time with their children and try to feel their emotions , justification of their demands , answer their queries and questions properly so that they may able to understand & realize their Responsibilities and respect their elders !

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