बिखरते परिवार : टूटते रिश्ते

 एक जमाना था जब हमारे यहाँ संयुक्त परिवार प्रथा थी। धीरे-धीरे विभिन्न परिस्थितियों के कारण एकल परिवार होने लगे।  इसके कई दोष परिणाम आने लग गए।  दुःख सुख मे व्यक्ति अपने आप को अकेला महसूस करता है। वह यहीं सोचा करता है की दुनिया में कोई किसी का नहीं है। ऐसा भाव आना बहुत बड़े खतरे का सूचक है। आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक समस्याओं के साथ-साथ कई मानसिक कष्टों का एकमात्र कारण एकल परिवार है। पश्चिमी राष्ट्रों में यह सारी समस्याएं चरम पर है और उनके दुष्परिणाम प्रतिदिन समाचार पत्रों में पढ़े जा सकते है। ऐसी-ऐसी घटनायें होती है कि जिन पर विश्वास ही नहीं किया जा सकता। लोगों के आचरण में भी अत्यधिक गिरावट आयी है। एकल परिवार की वजह से सामाजिक ताना-बाना बिखर चुका है।

पश्चिमी राष्ट्रों के समाजशास्त्री भारतीय सनातन सामाजिक व्यवस्था पर नये सिरे से शोध कार्य कर रहे है। पश्चिम के समाजशास्त्री हमारे यहाँ के पारिवारिक व सामाजिक ढांचा को देख कर अपने यहाँ इसे अपनाने की सिफारिशें कर रहे है। जितने रिश्ते हमारे परिवारों में होते है पश्चिम में उनके नाम भी नहीं है। जैसे मौसा, फूंफा, भुआ, ननंद-नन्दोई जैसे पचासों रिश्तों के अंग्रेजी में पर्याप्त शब्द भी नहीं है। जब रिश्ते ही नहीं तो नाम कैसा?   

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सशक्त समाज से ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास संभव है।  अतः अब हम सब को पुनः विचार करना होगा कि धीरे-धीरे संयुक्त परिवार की ओर बढ़ा जाये। समाज की हर इकाई का ये प्राथमिक दायित्व है कि परिवार के सभी सदस्यों का मान-सम्मान करें।  छोटे-बड़ो का कायदा रखे।  सबको उन्नति का समान अवसर प्रदान करें। एक दूसरे की उन्नति को देखकर खुश होना चाहिए। परिवार की समस्याओं का मिलकर समाधान करें।  अपना-अपना काम ईमानदारी से करें और हो सके तो हमेशा एक दूसरे की मदद भी करते रहें।  परिवार के प्रति त्याग एवं समर्पण का भाव रखें।  सदैव प्रेम और मित्रता से रहें।  कोशिश करें कि रात का भोजन परिवार के सारे सदस्य एक साथ मिलकर करें।  तभी एकल परिवार से संयुक्त परिवार की ओर बढ़ सकते है।  आदर्श संयुक्त परिवार बनते ही आपकी सामाजिक , आर्थिक, मानसिक  आदि अनेक समस्याएं दूर हो जाएगी।

 

Comments

  1. Yes sir you are absolutely right 👍

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    1. After so many trials and errors men invented a Swarag on the Earth , which appeared as PARIWAR ! But now a day's due to Educational system , services ,western & filmy effects our society lost our culture and ethical values!

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  2. संस्था के रूप में संयुक्त परिवार टूटने लगे हैं। इनके लाभ बहुत हैं।

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  3. Right i am agree with you

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  4. it is very emotional issues which is nicely portrait by author....

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  5. संयुक्त परिवार और एकल परिवार के बारे में चंद्र शब्दों में एक अच्छा लेख आज के परिवार में यह ज्वलंत समस्या है। जागरूकता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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